डीआरडीओ


आए दिन डीआरडीओ का नाम भारतीय रक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अलग-अलग प्रकार के मिसाइलों एवं रक्षा क्षेत्र से जुड़ी तकनीक का विकास एवं इसकी परीक्षण को लेकर सुर्खियों में रहता है, चलिए आज डीआरडीओ के बारे में जरूरी बातें जानें।

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DRDO का पूरा नाम हैं - Defence Research and Development Organization,
अगर केवल research and development organization की बात करें,
एक अनुसंधान एवं विकास संगठन अपने क्षेत्र में कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से काम करने के लिए नई प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए समर्पित होते है।

डीआरडीओ, भारतीय रक्षा प्रणाली  क्षेत्र से संबंधित  होने के नाते, भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं को उनकी आवश्यकता अनुसार स्वदेशी तकनीक से विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और रक्षा प्रणालियों से लैस कर भारत को नवीनतम रक्षा प्रौद्योगिकी और रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाता है।

Tabular

डीआरडीओ क्या हैं

डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन एक अनुसंधान एवं विकास संगठन है जो स्वदेशी अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसके अतिरिक्त, यह भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी और रक्षा प्रणालियों का विकास कर भारत को नवीनतम अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाता हैं।

डीआरडीओ ने अपने दृष्टिकोण "अत्याधुनिक स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के साथ राष्ट्र को सशक्त बनाने" के लिए देश भर में 41 प्रयोगशालाएं और पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं।

विकिपीडिया के मुताबिक डीआरडीओ में लगभग 30000 कर्मी मौजूद है जिनमें से 5000 वैज्ञानिक, डीआरडीएस- सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास सेवा, जो ग्रुप ए के गजेटेड वैज्ञानिकों का एक समूह है, से जुड़े हैं जबकि अन्य 25000 में अधीनस्थ वैज्ञानिक, तकनीकी और अन्य सहायक कर्मी शामिल हैं।

DRDO का उद्देश्य

भारत की रक्षा व्यवस्था के लिए अत्याधुनिक सेंसर, हथियार प्रणालियों, और संबंधित उपकरणों का डिजाइन, विकास और उत्पादन करना।

युद्ध प्रभावशीलता को अनुकूलित करने तथा सैनिकों की भलाई को बढ़ावा देने के लिए सेवाओं को तकनीकी समाधान प्रदान करना।

बुनियादी ढांचे और प्रतिबद्ध गुणवत्ता वाले मानवशक्ति का विकास करना तथा मजबूत स्वदेशी प्रौद्योगिकी आधार का निर्माण करना।

डीआरडीओ की शुरूआत कैसे हुई

डीआरडीओ की स्थापना 1958 में पूर्व संचालित तीन रक्षा संबंधित संगठनों जो नीचे दिए गए हैं, को मिलकर किया गया हैं।

Defence science organization (DSO)

Technical development establishment(TDEs)

Directorate of technical development and production

शुरुआत में डीआरडीओ के पास केवल 10 प्रयोगशालाएं थीं, लेकिन बढ़ते समय के साथ-साथ वर्तमान में डीआरडीओ देश भर में 41 प्रयोगशाला और पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशाला का संचालन करता है, ये प्रयोगशालाएं स्वदेशी तकनीक का प्रयोग कर रक्षा प्रौद्योगिकी तथा विभिन्न रक्षा प्रणालियों के निर्माण, विकास एवं परीक्षण के लिए काम करती हैं।

अब तक हमने कई बार रक्षा प्रौद्योगिकी और रक्षा प्रणाली के बारे में बात की है, आइये जानते हैं कि इन प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में क्या-क्या शामिल है।

डीआरआरओ की विभिन्न रक्षा प्रौद्योगिकी और रक्षा प्रणाली

अग्नि, पृथ्वी तथा अन्य श्रेणी की मिसाइल का निर्माण

हल्के लड़ाकू विमान जैसे - तेजस का विकास

मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, पिनाका

वायु रक्षा प्रणाली - वैसा तकनीकी उपकरण जो हवा में दुश्मनों के लड़ाकू विमान, मिसाइल, खुफिया ड्रोन आदि को नष्ट करने की क्षमता रखता हो, डीआरडीओ का आकाश मिसाइल, वायु रक्षा प्रणाली के तौर पर जाना जाता हैं।

देश की निगरानी क्षमता के लिए सिंधु नेत्र उपग्रह

सिंधु नेत्र उपग्रह को डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर क्षेत्र में युद्धपोत और व्यापारी जहाज की पहचान करने और निगरानी करने के लिए किया था।

संगठन संरचना

डीआरडीओ का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसका नेतृत्व एक वरिष्ठ अधिकारी करता है जिसे अध्यक्ष या चेयरमैन के रूप में नामित किया जाता है, डीआरडीओ के वर्तमान अध्यक्ष समीर वी कामत हैं। डीआरडीओ के अध्यक्ष होने के साथ-साथ वह रक्षा विभाग के सचिव भी हैं।

संगठन के रूप में डीआरडीओ, भारत की रक्षा से संबंधित आवश्यक प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के निर्माण और विकास के लिए जिम्मेदार है, ईडी, एनसीबी जैसी संगठन जो किसी एक क्षेत्र पर केंद्रित हैं, के विपरीत डीआरडीओ, विमान विज्ञान, युद्ध सामग्री, बुलेट प्रूफ सामग्री, लड़ाकू विमान, रडार, सैन्य हथियार और उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि जैसे कई वैज्ञानिक क्षेत्रों से जुड़े हुए है,

इन पर प्रभावी ढंग से काम करने के लिए, डीआरडीओ देश भर में संबंधित विशिष्ट क्षेत्रों से संबंधित लगभग 41 विभागों का संचालन करता है, इन विभागों को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के रूप में जाना जाता है तथा इनका नेतृत्व डायरेक्टर के तौर पर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक करते हैं।

जैसा कि हमने शुरू में बताया कि डीआरडीओ में लगभग 30,000 कार्मिक कार्यरत हैं, इन कार्मिकों को बनाए रखने, आगे प्रशिक्षण देने तथा प्रबंधन करने के लिए डीआरआरओ के अंतर्गत मानव संसाधन विभाग के रूप में तीन केंद्र बनाए गए हैं।

1. Recruitment and Assessment centre - भर्ती एवं मूल्यांकन केंद्र

डीआरडीओ का वह इकाई जो समूह 'A' श्रेणी I गैजटेड वैज्ञानिकों के लिए भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों की नियुक्ति और प्रोन्नति का काम करता हैं।

2. CEPTAM - Centre for Personnel training management - कार्मिक प्रतिभा प्रबंधन केन्द्र l

ग्रुप A वैज्ञानिकों के अतिरिक्त सहायक अभियंता, तकनीशियन और अन्य सहायक कर्मी जैसे - मल्टी टास्किंग स्टाफ की नियुक्ति हेतु राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करता हैं।

3. ITM, mussoorie uttrakhand
प्रौद्योगिकी प्रबंधन संस्थान (आईटीएम) डीआरडीओ, मसूरी

डीआरडीओ अपने कार्मिकों को प्रौद्योगिकी प्रबंधन  संस्थान मसूरी (आईटीएम) के साथ-साथ आईआईटी, आईआईएससी बैंगलोर आदि जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में भी प्रशिक्षण देता है।

डीआरडीओ की कुछ रोचक जानकारी

डीआरडीओ हर साल 1 जनवरी को अपना स्थापना दिवस मनाता है, हाल ही में 1 जनवरी 2024 को डीआरडीओ ने अपना 66वां स्थापना दिवस मनाया।

डीआरडीओ के अध्यक्ष और रक्षा विभाग के सचिव को भत्तों के अलावा 2.25 लाख रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता है।

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