इसरो की शीर्ष 10 उपलब्धियां ||10 major achievements of isro in hindi ||

इसरो की उपलब्धियों को जानना काफी दिलचस्प होगा क्योंकि एक समय था जब INCOSPAR(जिसे आज इसरो कहा जाता है) के द्वारा भारत का पहला रॉकेट केरल के थुंबा स्थित चर्च से लॉन्च किया गया था, इस रॉकेट को भी चर्च तक साइकिल और बैलगाड़ी के मदद से अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया था, पर आज इसरो का नाम दुनिया की शीर्ष स्पेस एजेंसी में लिया जाता है।

1969 से अब तक 52 वर्ष के इस सफर में इसरो ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की है जिन्होंने इसे दुनिया की शीर्ष स्पेस एजेंसी की सूची में शामिल रखा है। यहां अब तक की इसरो की टॉप 10 उपलब्धियां की जानकारी दी गई है।


इसरो की टॉप 10 उपलब्धियां

इसरो की शीर्ष 10 उपलब्धियों की सूची
  1. 1975 में पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट'
  2. 1983 में INSAT (इनसेट) प्रणाली की शुरुआत
  3. 2007 में SRE-1
  4. चन्द्रयान-1 2008 में
  5. मंगलयान 2013 में
  6. एक उड़ान में 104 उपग्रह का प्रक्षेपण
  7. GSLV Mk III रॉकेट
  8. भारत का सबसे भारी उपग्रह
  9. IRNSS
  10. RLV (पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान) का विकास

इसरो की प्रमुख उपलब्धियां

1. 1975 में पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' :-

आर्यभट्ट,भारतीय महान गणितज्ञ और खगोल शास्त्री जिन्होंने जीरो का आविष्कार एवं पाई का मान का पता लगाया था, इन्हीं के नाम पर भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह 1975 में तैयार किया गया था। उपग्रह आर्यभट्ट को सोवियत संघ के प्रक्षेपण यान के मदद से 19 अप्रैल 1975 को अंतरिक्ष में पहुँचाया गया,

जो कि केवल 5 दिनों तक ही अंतरिक्ष में कार्यरत रहा और फिर निष्क्रिय हो गया था। इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में किया गया था और यहाँ से इसरो ने अपने तकनीक में विकास करना शुरू किया।

2. 1983 में INSAT (इनसेट) प्रणाली की शुरुआत :-

आर्यभट्ट के लॉन्च के बाद भारत में संचार क्षेत्र को विकसित करने और देश के विभिन्न इलाकों तक आधुनिक संचार सुविधाएं जैसे- टेलीविजन और रेडियो प्रसारण, दूर संचार तकनीक आदि को पहुंचाने के लिए इनसैट (भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली) की शुरुआत की गई थी।

INSAT का फुल फॉर्म:-

  • अंग्रेजी में - Indian National Satellite System.

  • हिंदी में- भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली।

इनसैट इसरो द्वारा भेजे गए संचार उपग्रह की एक श्रृंखला है, जिसकी शुरुआत अगस्त 1983 में 'RISAT-1B' नामक संचार उपग्रह लॉन्च करके की गई थी, इसने भारत के संचार माध्यम जैसे टेलीविजन और रेडियो प्रसारण, दूरसंचार आदि और मौसम विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत की।

3. 2007 में SRE-1 :-

SRE-1 का मतलब स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट है। इसे इसरो द्वारा 10 जनवरी 2007 को 'PSLV-C7' रॉकेट से तीन अन्य उपग्रहों के साथ लॉन्च किया गया था, इस मिशन का उद्देश्य परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष कैप्सूल को सुरक्षित रूप से पुनःप्राप्त करने की क्षमता प्रदर्शित करना था, जिसे बखूबी पूरा किया गया।

पृथ्वी पर लौटने से पहले, अंतरिक्ष कैप्सूल 12 दिनों तक अंतरिक्ष में रहा और अपने सभी प्रयोग पूरे किए। इस मिशन के सफल परीक्षण ने इसरो वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष कैप्सूल की वापसी के दौरान नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण में मूल्यवान अनुभव प्रदान किया और साथ ही भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम(गगनयान मिशन) की शुरुआत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

4. चन्द्रयान-1 2008 में :-

वर्ष 2008 में इसरो के चन्द्रयान 1 मिशन के मदद से भारत चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान भेजने वाला पांचवा देश बना। चंद्रयान-1 इसरो द्वारा चांद पर भेजा गया पहला मिशन था, जिसे 22 अक्टूबर 2008 को 'PSLV-C11' रॉकेट से लांच किया गया था, इस अंतरिक्ष यान को 8 नवंबर 2008 को सफलतापूर्वक चाँद की कक्षा में स्थापित किया गया।

यह अपने निर्धारित मिशन कार्य अवधि 2 वर्ष से पहले 29 अगस्त 2009 तक ही कार्यरत रहा, हालांकि इसी दौरान इस मिशन के ज्यादातर उद्देश्यों को पूरा कर लिया गया था। मिशन चंद्रयान 1 से चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, साथ ही इसने चांद की सतह पर मैग्नीशियम, एल्युमिनियम और सिलिकॉन की मौजूदगी का भी पता लगाया है।

5. मंगलयान 2013 में :-

पृथ्वी से मंगल ग्रह की दूरी लगभग 6 करोड किलोमीटर है। इस लंबी दूरी को इसरो अपने मिशन मंगलयान के मदद से पहले ही प्रयास में तय करने में सफल रहा था, जबकि कुछ विकसित देशों को मंगल ग्रह तक पहुंचने में दो-तीन प्रयास करने पड़े और कुछ तो अभी भी प्रयासरत हैं। मंगलयान मिशन इसरो द्वारा 5 नवंबर 2013 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से 'PSLV-XL' रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था जो 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हुआ।

मिशन मंगलयान को भारत का सबसे सफल स्पेस मिशन माना जाता है क्योंकि इसके मदद से भारत पहले ही प्रयास में अपने अंतरिक्ष यान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित करने वाला प्रथम देश बना।

6. एक उड़ान में 104 उपग्रह का प्रक्षेपण :-

15 फरवरी 2017। वह दिन जब इसरो ने अपने पीएसएलवी रॉकेट की मदद से एक ही उड़ान में 104 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके विश्व रिकॉर्ड बनाया, हालांकि 24 जनवरी 2021 को स्पेसएक्स के 'फाल्कन 9' रॉकेट ने 143 उपग्रहों को लॉन्च किया और वह रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।

पर फिर भी एक ही बार में 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण इसरो की अपनी स्वदेशी तकनीक और क्षमता को प्रदर्शित करता है। इन 104 उपग्रह में तीन भारतीय और अन्य 101 विदेशी उपग्रह शामिल था जिसे सफलतापूर्वक उनके निर्धारित कक्षा(ऑर्बिट) में स्थापित किया गया।

7. GSLV Mk III रॉकेट :-

इस रॉकेट को इसरो का सबसे शक्तिशाली रॉकेट कहा जाता है, तीन चरणों वाला यह रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में 10000 kg और जियोसिंक्रोनस कक्षा में 4000 kg के अंतरिक्ष यान को ले जाने में सक्षम है, GSLV-Mk III रॉकेट का निर्माण इसके तीन लॉन्च के साथ पूरा किया गया जिनमें पहला दिसंबर 2014 को तथा अन्य दो को जून 2017 और नवंबर 2018 में लॉन्च किया गया था।

GSLV-Mk III का पूरा नाम :-

  • अंग्रेजी मे- Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III.

  • हिंदी में - जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क तीन।

इस रॉकेट के आखिरी चरण में लगाया गया क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण भी भारतीय वैज्ञानिकों के द्वारा ही किया गया है जो इसरो और भारत के लिए अपने आप में एक उपलब्धि है, दुनिया के केवल छह देश अपने रॉकेट में क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग कर रहे हैं, और भारत उनमें से एक है।

GSLV Mk III रॉकेट के बारे में और अधिक जानने के लिए, तथा इसरो के बाकी रॉकेटों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करने के लिए, आप हमारे इसरो के प्रक्षेपण यान वाले पेज को विजिट कर सकते हैं।

8. भारत का सबसे भारी उपग्रह :-

इसरो द्वारा निर्मित भारत का सबसे भारी उपग्रह 'GSAT-11' नामक संचार उपग्रह है, 5854 kg के इस उपग्रह को यूरोपियन स्पेस एजेंसी अंतर्गत एरियनस्पेस के 'एरियन 5' रॉकेट से 5 दिसंबर 2018 को लॉन्च किया गया था, हालाँकि भारतीय रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया भारत का सबसे भारी उपग्रह 'gsat-29' है, यह भी एक संचार उपग्रह है जिसका कुल वजन 3423 kg, इसे 24 नवंबर 2018 को भारतीय रॉकेट 'GSLV-Mk III' से लॉन्च किया गया था।

9. IRNSS :-

IRNSS इसरो के द्वारा विकसित किया गया अपना स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम है जिसे कुल सात नेविगेशन उपग्रह लॉन्च करके पूर्ण रूप से विकसित किया गया है, इसके विकास से भारत नेविगेशन से जुड़े कार्य के लिए अब किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं है। IRNSS को ही NavIC कहा जाता है।

IRNSS का फुल फॉर्म :-

  • अंग्रेजी में- Indian Regional Navigation Satellite System.

  • हिंदी में- भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली।

NavIC का फुल फॉर्म :-

  • अंग्रेजी में- Navigation with Indian Constellation.

  • हिंदी में- भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन।

अपना नेविगेशन सिस्टम का विकास करने वाले दुनिया के देशों में भारत भी अपना नाम दर्ज करा चुका है जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

10. RLV (पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान) का विकास :-

स्पेस मिशन को अंजाम देना और विशेष रूप से कम खर्च में अंजाम देना अपने आप में एक उपलब्धि माना जाता है, वर्तमान में दुनिया में कुछ ही देश है जो reusable रॉकेट का उपयोग कर काफ़ी कम खर्च में अपने स्पेस मिशन को अंजाम दे रहे हैं, इसरो भी इस दिशा में 'RLV-TD' कार्यक्रम के साथ कदम बढ़ा चुका है,

RLV-TD का मतलब :-

  • अंग्रेजी में - Reusable Launch Vehicle Technology Demonstration.

  • हिंदी में - पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शन।

'RLV-TD' कार्यक्रम के तहत इसरो ने पहला परीक्षण उड़ान 23 मई, 2016 को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिससे reusable रॉकेट के कुछ आवश्यक तकनीक का सत्यापन किया गया, हालाँकि वर्तमान में इसरो के पास कोई reusable रॉकेट नहीं है लेकिन यह 'आरएलवी-टीडी' कार्यक्रम के तहत और अधिक परीक्षण उड़ान की मदद से reusable रॉकेट के निर्माण को पूरा करने की दिशा में तत्पर हैं।


Final words


आज के लेख में हमने इसरो की शीर्ष 10 उपलब्धियों को बहुत ही सरल तरीके से आपके सामने रखा है, हमें उम्मीद है की हम आपके सवालों का जवाब देने में सक्षम रहे होंगे, अगर इस लेख के प्रति आपकी कोई सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो हमें कमेंट जरूर करें(आपके कमेंट्स हमें प्रोत्साहित करते है।)

और साथ ही यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे आगे शेयर भी करें क्योंकि कम से कम हर भारतीय को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की इन उपलब्धियों से अवगत होना चाहिए।


इन उपलब्धियों के अलावा इसरो फिलहाल अपने कई बड़े मिशनों पर काम कर रहा है, जो आने वाले समय में इसरो को और ऊंचाइयों पर ले जाने में मददगार साबित होगा। इसरो के आगामी मिशन को जानने के लिए यहां क्लिक करें।

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